महाकुंभ- जमीन के अंदर मौनी बाबा की साधना, VIDEO: 5 फीट का गड्ढा, ऊपर टीन शेड डालकर मिट्‌टी डाली

By MYPMYojana

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jameen ke andar maunee baaba kee saadhana

महाकुंभ में मृत आत्माओं की शांति और महाकुंभ मेला को सही से संपन्न कराने के लिए मौनी महाराज भू-समाधि पर बैठै। महाकुंभ के सेक्टर-6 स्थित शिविर में शुक्रवार को लगभग 3 घंटे तक jameen ke andar maunee baaba kee saadhana अखंड तपस्या की। संगम पर हुई भगदड़ के कारण मौनी महाराज ने अपनी चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा स्थगित कर दी थी।

मौनी महाराज 57वीं बार भू-समाधि पर बैठे। मौनी महाराज अमेठी के बाबूगंज स्थित सगरा आश्रम के प्रमुख हैं।

महाकुंभ के सेक्टर-6 स्थित शिविर में पूजा करते मौनी महाराज।
महाकुंभ के सेक्टर-6 स्थित शिविर में पूजा करते मौनी महाराज।

भू-समाधि पर बैठने की जानकारी को गुप्त रखा मौनी महाराज ने कहा– महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद से बेहद दुखी हूं। महाकुंभ में विरोधियों की कुदृष्टि को समाप्त करने के लिए भू-समाधि साधना करने का निर्णय लिया। इस साधना को करने से पहले इसकी जानकारी गुप्त रखी गई, ताकि भक्त और श्रद्धालुओं की भीड़ न जमा हो।

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एक प्रहर की साधना में वह 3 घंटे तक बिना हवा पानी के जमीन के अंदर रहे। इस दौरान हादसे के समय का मंजर और मृत आत्माओं के चीख-पुकार और तात्कालिक वेदना की अनुभूति हुई।

भू-समाधि में हवा, पानी और भोजन नहीं होता

मौनी महाराज गुफानुमा गड्‌ढे में बैठे, ऊपर से टिनशेड लगाकर अच्छे से मिट्‌टी डाल दी गई। जिससे हवा तक अंदर न जा पाए।
मौनी महाराज गुफानुमा गड्‌ढे में बैठे, ऊपर से टिनशेड लगाकर अच्छे से मिट्‌टी डाल दी गई। जिससे हवा तक अंदर न जा पाए।

भू-समाधि साधना के बारे मे उन्होंने कहा- यह संत महात्माओं की सबसे कठिन साधना पद्धति मानी जाती है। इसमें जीवित अवस्था में साधक भूमि के नीचे गुफानुमा जगह पर कई घंटे रहकर अपने इष्ट की साधना करता है। इसमें हवा, पानी और भोजन नहीं होता। गड्‌ढे को इतना सकरा बनाया जाता है कि इंसान इस गड्‌ढे मे ठीक से बैठ नहीं सकता। उन्होंने भगवान शिव का ध्यान लगाते हुए महाकुंभ हादसे में मृत आत्माओं को शांति प्रदान करने और महाकुंभ में अब कोई विघ्न बाधा उत्पन्न न होने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से 12 ज्योतिर्लिंगों बनाए

महाकुंभ के सेक्टर-6 में मौनी महाराज ने 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की है।
महाकुंभ के सेक्टर-6 में मौनी महाराज ने 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की है।

पहली बार 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मणियों से दिव्य 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की है। हर ज्योतिर्लिंग 11 फीट ऊंचा, 9 फीट चौड़ा और 7 फीट मोटा है। शिवलिंग का संकल्प शास्त्री मत से है। 11 रुद्र 11 फीट ऊंचा है। नौ दुर्गा हैं इसलिए 9 फीट चौड़ा है। 7 पुरिया हैं, इसलिए शिवलिंग 7 फीट मोटा है।

13 साल तक मौन व्रत रखा महाराज का पूरा नाम शिव योगी है। 13 साल तक मौन व्रत में रहे हैं, इसलिए लोग इन्हें मौनी महाराज के नाम से बुलाते हैं। इनका जन्म प्रतापगढ़ के पट्टी क्षेत्र में हुआ। यहीं पर शिक्षा-दीक्षा हुई। इसके बाद मुंबई में जीविकोपार्जन के लिए गए। फिर वहीं सांसारिक जीवन से विरक्त होकर इन्होंने संन्यास धारण कर लिया। मौनी महाराज अमेठी के बाबूगंज स्थित सगरा आश्रम के प्रमुख हैं। राष्ट्र कल्याण की भावना और भगवान शिव के दर्शन की इच्छा को लेकर महाराज ने 1989 में मौन धारण किया। मौन रहने और भगवान शिव की पूजा का सिलसिला 2002 तक चला। तभी से सब लोग इन्हें मौनी महाराज के नाम से जानने लगे।

सबसे ज्यादा 41 दिनों तक लगातार भू समाधि साधना पर बैठै पहली बार भू-समाधि साधना के लिए मौनी महाराज नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में गए। वहां 41 दिनों तक लगातार भू-समाधि साधना की। इससे खुश होकर नेपाल के महाराज वीरेंद्र विक्रम शाह ने 11 हजार रुद्राक्ष और चांदी का मुकुट भेंट किया था। मौनी महाराज नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में दूसरी बार 30 दिनों तक भू-समाधि साधना की थी।

9 दिन की जल समाधि साधना कर चुके हैं

जल समाधि साधना पर बैठते मौनी महाराज। (फाइल फोटो)
जल समाधि साधना पर बैठते मौनी महाराज। (फाइल फोटो)

मौनी महाराज नासिक में हरिधाम साधना आश्रम के सरोवर में 9 दिन तक जल समाधि साधना पर बैठ चुके हैं। अमेठी के टीकरमाफी आश्रम के मुंशीगंज स्थित आश्रम में 21 दिनों तक वह भू-समाधि साधना और एक बार जल समाधि साधना पर बैठ चुके हैं। पूर्वी दिल्ली स्थित आश्रम में दो बार 10-10 दिनों तक लगातार भू-समाधि साधना ले चुके हैं। नासिक में साल-2016 में हुए कुंभ के दौरान 5 दिनों तक लगातार भू-समाधि साधना पर बैठे थे।

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